kabir ke dohe in hindi with meaning pdf । kabir dohe in hindi।

kabir ke dohe in hindi with meaning

कबीर 15वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे।  सरल भाषा में लिखी गई उनकी कविता अक्सर धार्मिक सीमाओं से परे गहन आध्यात्मिक संदेश देती थी।  कबीर की शिक्षाओं में लोगों के बीच प्रेम, एकता और सद्भाव के महत्व पर जोर दिया गया, चाहे उनकी पृष्ठभूमि या मान्यता कुछ भी हो।  उनके काम का भारतीय दर्शन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है और यह दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करता है।

कबीर के दोहे हिंदी में : 

 बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। 

जो मन खोजा आपना, तो मुझसे बुरा न कोय।। 

अर्थ: मैं जब दूसरों में बुराई देखने के लिए निकला, तो मुझे किसी भी व्यक्ति में बुराई नहीं मिली। परन्तु जब मैंने अपने मन की खोज की, तो खुद को बेहतर नहीं पाया।

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होए।  

माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होए।। 

अर्थ: हे मन, सब कुछ धीरे-धीरे होता है। जैसे कि माली ने सौ बार पानी दिया, तभी ऋतु आई और फल हुआ।

चिंता ऐसी डाकिनी, काटि करेजवार। 

और नखेरे दखाए, दाढ़ी बिढ़ि न सार।। 

अर्थ: चिंता एक ऐसी डाकिनी है जो हमारा शरीर काटकर खा जाती है। परन्तु जब हम उसे देखते हैं, तो वह छुप जाती है और हमारी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं।

साईं इतना दीजिए, जामें कुटुंब समाय।

 मैं भी भूखा न रहूं, साधू न भूखा जाए।। 

अर्थ: हे ईश्वर, मुझे इतना देना कि मेरे परिवार का पेट भर जाए। मैं भी भूखा न रहूं और साधु भी भूखा न जाए।

"मोती हार समझाईको, मोती ही अमोल।

 नहीं तो सुरत सुन्दरीकी, कामिनी कूट जब दोल।। "

अर्थ: मोती हार को समझाने के लिए मोती ही अमूल्य होता है। वर्ना अगर कामिनी और दोल का मिश्रण हो, तो सुंदरीकी (मोती हार) की सौंदर्यिकता नष्ट हो जाती है।

Download Kabir ke Dohe pdf in hindi 





Kabir ke Dohe : 

Kabir ke dohe लोगो को आज भी याद है और पूरी दुनिया के लोग इसे पढ़ते और सुनते है।इसे और लोगो तक भी पहोचाए। धन्यवाद।

Comments